NEET कट ऑफ मार्क्स का मतलब है वह न्यूनतम नंबर या रैंक जो उम्मीदवारों को MBBS कॉलेजों में दाखिले के लिए हासिल करनी होती है। हर साल लाखों छात्र NEET (National Eligibility cum Entrance Test) परीक्षा देते हैं ताकि वे मेडिकल कॉलेजों में MBBS या BDS कोर्स में प्रवेश पा सकें। NEET कट ऑफ इस बात का निर्धारण करता है कि कौन से छात्र सरकारी या प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में अपनी सीट पक्की कर सकते हैं।
यह कट ऑफ विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग होती है जैसे कि जनरल, ओबीसी, एससी, एसटी आदि। NEET की परीक्षा भारत सरकार और NTA (National Testing Agency) के माध्यम से आयोजित की जाती है। यह परीक्षा देश भर के मेडिकल कॉलेजों में सीट आवंटन के लिए आधार होती है। इस परीक्षा के जरिए भारत के 15% मेडिकल सीटें अखिल भारतीय कोटे (AIQ) के अंतर्गत और 85% सीटें राज्य कोटे के अंतर्गत भरी जाती हैं।
सरकार की अनेक योजनाएं, जैसे कि आरक्षित वर्गों के लिए अलग कोटा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए सुविधा, और दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए विशेष प्रावधान, इस प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होती हैं।
NEET Cut Off 2025
NEET कट ऑफ एक न्यूनतम अंक सीमा है जिसे पार किए बिना किसी उम्मीदवार को MBBS या BDS के लिए काउंसलिंग और दाखिले में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलता। नीट कट ऑफ हर साल परीक्षा के कठिनाई स्तर, उम्मीदवारों की संख्या और मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध सीटों के आधार पर NTA द्वारा तय की जाती है।
2025 के लिए NEET कट ऑफ इस प्रकार है:
- जनरल (General) / EWS: 50th percentile, अंक सीमा लगभग 686-144
- ओबीसी (OBC): 40th percentile, अंक सीमा लगभग 143-113
- एससी (SC): 40th percentile, अंक सीमा लगभग 143-113
- एसटी (ST): 40th percentile, अंक सीमा लगभग 143-113
- जनरल/ईडब्ल्यूएस दिव्यांग (PwBD): 45th percentile, अंक सीमा लगभग 143-127
- OBC/SC/ST दिव्यांग (PwBD): 40th percentile, अंक सीमा लगभग 126-113
ये कट ऑफ केवल परीक्षा पास करने के लिए जरूरी न्यूनतम अंक होते हैं। वास्तविक प्रवेश के लिए कॉलेजों में कट ऑफ अंक बहुत अधिक होती हैं, जो प्रतिस्पर्धा, सीटों की संख्या और स्थान के आधार पर बदलती रहती हैं.
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS के लिए NEET कट ऑफ
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS में प्रवेश का कट ऑफ पिछले वर्षों के मुकाबले 2025 में कम हो सकता है। इसका कारण यह है कि इस साल परीक्षा के सवाल अपेक्षाकृत कठिन थे, जिससे अपेक्षित तौर पर कुल नंबर कम आए।
प्रत्येक वर्ग के लिए अनुमानित कट ऑफ अंक इस प्रकार हैं:
- जनरल (General): 530
- ओबीसी (OBC): 524
- एससी (SC): 440-450
- एसटी (ST): 410-420
- EWS: 522-523
- जनरल PwBD: 210
राज्य कोटा के अंतर्गत भी इन कट ऑफ में भिन्नता होती है। कुछ कम प्रतिस्पर्धी वाले राज्यों जैसे ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड आदि में जनरल वर्ग के लिए 500-525 अंक पर भी प्रवेश संभव है। वहीं बड़ी प्रतिस्पर्धा वाले महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ओबीसी के लिए 530 से ऊपर अंक मांगे जाते हैं।
एससी और एसटी वर्ग के लिए कट ऑफ अंक आमतौर पर कम होते हैं, लेकिन यह राज्य के डोमिसाइल नियम तथा सीटों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। आदिवासी राज्यों या पूर्वोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में ST वर्ग के छात्रों के लिए कट ऑफ 330-400 अंकों के बीच भी हो सकती है। यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य कोटा की दिशा-निर्देशों को देखना जरूरी होता है.
NEET कट ऑफ के पीछे की प्रक्रिया और सरकारी योजनाएं
नीट परीक्षा के जरिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार ने एक राष्ट्रीय स्तर का प्रवेश तंत्र विकसित किया है। NTA के द्वारा आयोजित NEET परीक्षा के माध्यम से सभी उम्मीदवारों को एक समान अवसर मिलता है।
इस प्रक्रिया में, सरकारी योजना के तहत विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण कोटा निर्धारित होते हैं ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र भी मेडिकल शिक्षा प्राप्त कर सकें। इसके अतिरिक्त, दिव्यांग और विशेष जरूरत वाले उम्मीदवारों के लिए भी अलग से आरक्षण स्थापित है।
सरकारी कॉलेजों में seats का लगभग 15% हिस्सा अखिल भारतीय कोटे के अंतर्गत आता है, जहां सभी राज्यों के छात्र मुकाबला करते हैं। बाकी 85% सीटों का आवंटन राज्य कोटा के अनुसार होता है ताकि स्थानीय छात्रों के लिए विशेष अवसर बने रहें।
नीट कट ऑफ को पार करना मात्र एक प्रारंभिक योग्यता है। क्वालिफाइंग अंक पाने के बाद काउंसलिंग प्रक्रिया होती है जिसमें उम्मीदवारों का रैंक और उनकी इच्छानुसार कॉलेज आवंटित किया जाता है। इसलिए अच्छे अंक और उच्च रैंक दोनों महत्वपूर्ण होते हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, NEET कट ऑफ मार्क्स MBBS में प्रवेश के लिए सबसे महत्वपूर्ण मापदंड हैं जो हर साल परीक्षा के बाद निर्गत होते हैं। ये कट ऑफ अलग-अलग वर्गों और राज्यों के अनुसार बदलते रहते हैं। नीट की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए कट ऑफ जानना आवश्यक है क्योंकि यही निर्धारित करता है कि वे अपने मनचाहे मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए योग्य हैं या नहीं। सरकारी योजनाएं और आरक्षण व्यवस्था इस प्रक्रिया को ज्यादा समावेशी बनाती हैं ताकि हर वर्ग के योग्य छात्र मेडिकल शिक्षा हासिल कर सकें।