भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) समय-समय पर बैंकिंग सेक्टर के नियमों में बदलाव करता रहता है ताकि ग्राहकों को ज्यादा सहूलियत दी जा सके और सिस्टम को पारदर्शी बनाया जा सके। हाल ही में, RBI ने 10 साल पुराने निष्क्रिय (इनऑपरेटिव) बैंक खातों और बच्चों के लिए बैंक अकाउंट्स से जुड़े अहम नियमों में बदलाव किए हैं। ये बदलाव मुख्य रूप से खाताधारकों की सुरक्षा, उनकी सुविधाएं बढ़ाने और जमापूंजी को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से किए गए हैं।
10 साल पुराने यानी निष्क्रिय खातों को दोबारा सक्रिय करने की प्रक्रिया पहले बहुत लंबी और जटिल होती थी, जिसमें ग्राहक को कई दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब इन नए निर्देशों के लागू होने से ग्राहकों को अपने पुराने खाते फिर से चालू करवाने या उसमें जमा रकम हासिल करवाने में पारदर्शिता और आसानी मिलेगी। इसके अलावा, नए नियमों में नाबालिग बच्चों के अकाउंट से जुड़े प्रावधान भी शामिल किए गए हैं, जिससे वित्तीय जागरूकता और समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
10 साल पुराने बैंक खातों और RBI के नए नियम
RBI के अनुसार, कोई भी बैंक अकाउंट अगर 10 साल से उपयोग नहीं हुआ, तो वह ‘इनऑपरेटिव’ यानी निष्क्रिय खाता माना जाता है। इसी तरह जो जमा राशि 10 साल तक क्लेम नहीं की गई है, उसे ‘अनक्लेम्ड डिपॉजिट’ कहते हैं। बैंक ऐसे खातों में जमा राशि RBI के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड में ट्रांसफर कर देते हैं।
अब RBI ने 12 जून 2025 को नए नियम जारी किए, जिनके अनुसार ऐसे निष्क्रिय खातों को दोबारा चालू करना अब बहुत आसान हो गया है। खाताधारक अब अपने KYC (नो योर कस्टमर) डॉक्युमेंट्स अपडेट कराने के लिए सिर्फ अपनी होम ब्रांच नहीं, बल्कि देश के किसी भी ब्रांच में जा सकते हैं। इसके अलावा वीडियो KYC (V-CIP) की सुविधा दी गई है, जिससे ग्राहक वीडियो कॉल के माध्यम से भी अपनी पहचान सत्यापित कर सकते हैं।
इन नए नियमों के तहत-
- कोई फीस नहीं ली जाएगी जब आप निष्क्रिय/डिस्बैंड अकाउंट को दोबारा चालू कराते हैं।
- ऐसे अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस नहीं होने पर भी कोई चार्ज या पेनाल्टी नहीं लगेगी।
- आपकी आईडी वेरिफिकेशन के बाद, अकाउंट तत्काल चालू हो जाएगा।
- बैंक को समय-समय पर ग्राहकों को उनके निष्क्रिय खातों के बारे में सूचना देना भी जरूरी होगा।
- यदि आपकी रकम DEA फंड में चली गई है, तो वेरिफिकेशन के बाद वह वापस मिल सकती है।
बच्चों के बैंक अकाउंट के नए नियम
अब RBI ने बच्चों की वित्तीय साक्षरता और स्वतंत्रता के लिए नया कदम उठाया है। April 2025 से जारी नियमों के तहत, 10 साल या उससे ज्यादा उम्र के बच्चे अब खुद अपना बैंक अकाउंट (स्मॉल सेविंग्स या टर्म डिपॉजिट) खोल व चला सकते हैं।
- किसी भी उम्र के नाबालिग के लिए उसके माता-पिता या लीगल गार्डियन अकाउंट खोल सकते हैं। अगर बच्चा 10+ साल का है, तो वह खुद भी लीगल रूप से अकाउंट खोल व संभाल सकता है।
- किसी भी बैंक की डिस्क्रिशन/पॉलिसी के हिसाब से वे इन अकाउंट्स के लिए लिमिट सेट कर सकते हैं और डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग जैसी सुविधाएं दे सकते हैं।
- 18 साल (एडल्ट) की उम्र पूरी करने पर, खाता अपने आप पूरी जिम्मेदारी के साथ संबंधित व्यक्ति के नाम ट्रांसफर हो जाएगा। इसके लिए बैंक को नए सिरे से केवाईसी और अन्य ऑपरेटिंग डिटेल्स लेनी होंगी।
- इन अकाउंट्स को ओवरड्राफ्ट की इजाजत नहीं होगी। यानी इसमें हमेशा क्रेडिट (balance positive) रहना जरूरी है।
- बैंक को KYC (अपने ग्राहक को जानो) की पूरी प्रक्रिया बच्चों के लिए भी करनी होगी और दरम्यान समय-समय पर जरूरी जांच करनी होगी।
सरकार और बैंक क्या दे रहे हैं?
इन खास दिशा-निर्देशों से अकाउंट के नंबर, रकम या इस्तेमाल की सुविधा तो बढ़ेगी, लेकिन साथ ही जोखिम प्रबंधन भी बैंक के अनुसार सेट होंगे। यानी हर बैंक यह तय कर पाएगा कि 10+ बच्चों को कौनसी सुविधाएं मिलेगी, किस सीमा तक ट्रांजैक्शन की छूट होगी, या कौनसा खाता कब तक होगा। यह पूरी जानकारी साफ तौर पर दी जाएगी ताकि सुरक्षा बनी रहे और बच्चों को जिम्मेदारी के साथ स्वतंत्रता मिले।
वीडियो KYC या ब्रांच में जाकर ID वेरिफाई करने के बाद निष्क्रिय अकाउंट को एक्टिव कराने की प्रक्रिया बेहद आसान और डिजिटल हो गई है। दूर-दराज के क्षेत्र के लोग भी इन सुविधाओं का फायदा ले सकते हैं। सरकार और RBI ने बैंकों को सलाह दी है कि वे ग्राहकों को निष्क्रिय खातों की समय-समय पर सूचना भी दें।
निष्क्रिय खाते चालू कराने के लिए स्टेप्स
- किसी भी बैंक ब्रांच में जाएं या वीडियो कॉल के जरिए KYC वेरिफिकेशन कराएं।
- आधार OTP, पासपोर्ट या कोई भी मान्य पहचान दिखाएं।
- बैंक प्रतिनिधि आपकी डिटेल्स को वेरिफाई करेगा।
- यदि दस्तावेज पूरे हैं तो निष्क्रिय खाता उसी दिन चालू हो जाएगा।
- किसी भी प्रकार की फीस आपको नहीं देनी है।
निष्कर्ष
RBI के नए नियमों से 10 साल पुराने बैंक खातों और बच्चों के अकाउंट्स को लेकर बैंकिंग पहले से ज्यादा आसान, सुरक्षित और पारदर्शी हुई है। अब ग्राहक दूर से ही अपने निष्क्रिय खाते चालू करा सकते हैं और 10+ साल के बच्चे भी अपने अकाउंट खुद संभाल सकते हैं। इन बदलावों का उद्देश्य बैंकिंग व्यवस्था में विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाना है, जिससे हर वर्ग को लाभ मिले।